RBI ने डिजिटल लेनदेन का उपयोग करने वाले लोगों के लिए राहत की खबर दी है। अस्पतालों और शैक्षणिक संस्थानों के लिए UPI payment लिमिट बढ़ाकर 5 लाख रुपए कर दी गई है। पहले अस्पतालों और शैक्षणिक संस्थानों के लिए UPI पेमेंट लिमिट 1 लाख रुपये प्रति लेनदेन थी।
RBI गवर्नर शक्तिकांत दास ने मॉनिटरी पॉलिसी मीटिंग में लिए गए निर्णयों की जानकारी देते हुए UPI लिमिट बढ़ाने का ऐलान किया। RBI के इस फैसले के बाद अब हॉस्पिटल और शिक्षा संस्थानों में UPI की मदद से ज्यादा पेमेंट किया जा सकेगा। UPI पेमेंट लिमिट की समय-समय पर समीक्षा की गई है।
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RBI के नए नियमों के अनुसार अब स्कूल-अस्पताल और अन्य शैक्षणिक संस्थानों और अस्पतालों में UPI यूजर्स प्रति ट्रांजेक्शन एक लाख के बजाय 5 लाख रुपए तक का भुगतान UPI के माध्यम से कर पाने में सक्षम होंगे। RBI द्वारा लिए गए इस फ़ैसले से UPI के इस्तेमाल को ज्यादा से ज्यादा बढ़ावा मिलेगा।
UPI transaction को दायरा बढ़ेगा और इससे उपभोक्ताओं को शिक्षा और स्वास्थ्य देखभाल उद्देश्यों के लिए अधिक मात्रा में UPI भुगतान करने में मदद मिलेगी। लोगों को अस्पतालों के बिल और स्कूल-कॉलेजों फीस जमा करने में होने वाली असुविधा का सामना नहीं करना पड़ेगा। लोग बिना किसी परेशानी और झंझट के अस्पतालों और स्कूल-कॉलेजों में UPI पेमेंट कर पाएंगे।
RBI ने घोषणा करते हुए कहा है कि विशिष्ट लेनदेन के लिए UPI ऑटो पेमेंट की लिमिट बढ़ाने का भी प्रस्ताव दिया गया है। जब UPI ऑटो- पेमेंट किया जाता है तो अतिरिक्त फैक्टर ऑथेंटिथेंकेशन (AFA) की ज़रूरत होती है। बता दूं कि जब 15,000 रुपए से अधिक की राशि के लिए ऑटो-पेमेंट किया जाता है तब यह AFA लागू होता है।
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ऑटो पेमेंट लिमिट बढ़ाने के प्रस्ताव के अनुसार अभी सिर्फ़ म्यूचुअल फंड सब्सक्रिप्शन, बीमा प्रीमियम सब्सक्रिप्शन और क्रेडिट कार्ड रीपेमेंट के लिए इस लिमिट को बढ़ाकर 1 लाख रुपए किया जा रहा है। बता दूं कि तीन दिनों तक यह मॉनेटरी पॉलिसी की बैठक चली थी।
तीन दिनों तक यह मॉनेटरी पॉलिसी की बैठक चली थी। आज शुक्रवार को भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने 3 दिनों तक चली मॉनेटरी पॉलिसी की बैठक में लिए गए फैसलों का ऐलान किया। मीटिंग में यह भी फैसला लिया गया कि रेपो रेट में किसी भी तरह का कोई बदलाव नहीं किया जाएगा। अभी रेपो रेट 6.5 फीसदी है और यह अपरिवर्तित ही रहेगा। रिजर्व बैंक ने अनुमान अनुसार यह भी बताया है कि वित्त वर्ष 2023-24 में भारतीय अर्थव्यवस्था 7 फीसदी की रफ्तार से बढ़ सकती है।
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