ITR : आय कर (Income Tax) भारत सरकार द्वारा लगाया जाने वाला एक कर है। सरकार हर वित्तीय वर्ष में इसका निर्धारण करती है। अलग-अलग वर्ग के लिए अलग-अलग दरें तय की जाती हैं। इस साल पेश किए गए बजट में नई टैक्स व्यवस्था के तहत इनकम टैक्स स्लैब में बदलाव किया गया था। सरकार ने बुनियादी आय छूट की सीमा को 2.5 लाख रुपए से बढ़ाकर 3 लाख रुपए कर दिया है। इसके अलावा आयकर का दायरा 5 लाख से बढ़ाकर 7 लाख रुपए कर दिया गया है। इसका मतलब है कि वित्त वर्ष 2023-24 में नई कर व्यवस्था चुनने वाला कोई भी व्यक्ति शून्य कर का भुगतान करेगा, बशर्ते उसकी कर योग्य आय 7 लाख रुपए से ज्यादा न हो।
ये तो हुई इनकम टैक्स संबंधी सामान्य जानकारी, लेकिन कई टैक्सपेयर इस बात को लेकर काफी चिंतित रहते हैं कि किसी कारणवश अगर वे अपना इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) नहीं भर पाए तो क्या होगा। समय पर आईटीआर भरने से आप पेनल्टी और विलम्ब जुर्माने से तो बचते ही हैं, साथ ही और भी कई लाभ होते हैं। अब हम आपको बताएंगे कि अगर आप आईटीआर नहीं भरते हैं तो आप पर क्या असर पड़ सकता है।
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आईटीआर सबमिशन का पालन नहीं करने पर आपको सेक्शन 234एफ के तहत 5000 रुपए लेट फाइलिंग फीस के रूप में भरने पड़ेंगे। हालांकि अगर आपकी कुल आय 5 लाख रुपए से कम है तो लेट फीस 1000 रुपए ही लगेगी। अगर आपकी ग्रॉस इनकम मूल छूट सीमा (एक्जेम्पशन लिमिट) से कम है, तो देर से जमा करने भी आपको पर दंडात्मक परिणाम नहीं झेलना पड़ेगा।
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पेनल्टी के अतिरिक्त आउटस्टैंडिंग टैक्स अमाउंट पर सेक्शन 234ए के तहत आप पर प्रति माह या पार्ट ऑफ ए मंथ 1 प्रतिशत ब्याज लिया जाएगा। यह ब्याज आपके रिटर्न की ड्यू डेट से एक्चुअल फाइलिंग डेट तक देय होता है। टालमटोल की प्रवृत्ति से ड्यू इंटरेस्ट में आनुपातिक बढ़ोतरी होगी।
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आपके आईटीआर में इनवेस्टमेंट या बिजनेस संबंधी नुकसान की घोषणा नहीं करने पर इसे आगे ले जाने की आपकी एबलिटी को क्षति पहुंचेगी। इससे आपको भविष्य में लाभ नहीं हो पाता और आपकी टैक्स लायेबिलिटी को कम आंका जाता है। यहां यह बात ध्यान देने योग्य है कि घर संबंधी प्रॉपर्टी में नुकसान को कैरिड फॉरवर्ड किया जा सकता है।
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समय पर आईटीआर भरने से आपको ओरिजन रिटर्न के मल्टीपल रिविजन की इजाजत मिलेगी। हालांकि शुरुआती आईटीआर सबमिट करने में आलस्य से आपको यह विशेषाधिकार (प्रीविलेज) नहीं मिलता। इसलिए विलंबित (बीलेटेड) आईटीआर को अंतिम रूप देते समय सावधानी और सतर्कता जरूरी है।
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आईटीआर जमा करने की समयसीमा का पालन नहीं करने पर टैक्स अधिकारियों के मन में कर चोरी के संदेह को जन्म दे सकता है। इससे आप पर सेक्शन 271ए के तहत पेनल्टी लग सकती है। यह टैक्स चोरी की 50 प्रतिशत राशि होगी। इसके अतिरिक्त ऑफेंडर्स (दोषी) को जेल भी हो सकती है। यह तीन महीने से लेकर दो साल तक हो सकती है। इसके अलावा बचाए गए टैक्स के हिसाब से जुर्माना भी लगेगा। अब आप जान ही गए कि आईटीआर समय पर नहीं भरने से क्या-क्या नुकसान हो सकता है। इन संभावित दुष्परिणामों से बचने के लिए निर्धारित समय सीमा के भीतर अपना आईटीआर फाइल करना बहुत जरूरी है।
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