SBI & PO FD : बाजार में अधिकतर चीजें ऐसी होती हैं, जो अलग-अलग कंपनी और ब्रैंड की होती हैं। ऐसे में कोई भी कस्टमर इन्हें खरीदने से पहले पूरी तरह से मार्केट सर्च करता है। हर प्रकार से संतुष्ट होने के बाद ही वह अपनी जरूरत के हिसाब से इनमें से एक का चयन करता है यानी उसके लिए पैसे खर्च करता है। यह नियम बड़ी कंपनियों के प्रॉडक्ट पर ही लागू नहीं होता। यहां तक कि रोजाना काम आने वाले फल-सब्जी और घर के कई सामान के लिए भी इधर-उधर जांच-परखकर ही फैसला किया जाता है। आज हम इन बातों का उल्लेख इसलिए कर रहे हैं क्योंकि हमारी खबर का विषय ऐसा ही है।
दरअसल हम यहां निवेश के लिए आपको मिल रहे दो बेहतरीन विकल्पों की तुलना कर उनमें अंतर बताना चाहते हैं। हमारा इशारा है बैंक और पोस्ट ऑफिस जैसे दो बड़े विश्वसनीय संस्थानों की फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) योजनाओं की ओर। हमारे द्वारा शेयर की गई जानकारी के बाद आप तय कर सकते हैं कि आपके लिए कौनसी जगह एफडी कराना उचित रहेगा। हम इन दोनों यानी एसबीआई और पोस्ट ऑफिस एफडी पर मिलने वाली इंटरेस्ट रेट, टैक्स बेनेफिट, मैच्योरिटी पीरियड, प्रीमैच्योर विड्रॉअल चार्जेज सहित कुछ खास बातों की तुलना करने जा रहे हैं।
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एसबीआई में टर्म डिपॉजिट 7 दिन से लेकर 10 साल तक हो सकता है यानी यह इसका मैच्योरिटी पीरियड है। दूसरी ओर पोस्टल सर्विस प्रोग्राम (डाक सेवा कार्यक्रम) 1, 2, 3 और 5 साल की अवधि के लिए अवलेबल हैं।
स्टेट बैंक ऑफ इंडिया आम निवेशकों (इनवेस्टर्स) को 2 करोड़ रुपए से कम तक के रिटेल डिपॉजिट पर 3 से 7 फीसदी तक रिटर्न देता है। सीनियर सिटीजंस के मामले में यह इंटरेस्ट रेट 0.5 पर्सेंट तक बढ़ जाती है। बैंक की यूनीक अमृत कलश स्कीम सीनियर सिटीजंस को 7.6% रिटर्न देती है।
अब बात करते हैं पोस्ट ऑफिस एफडी पर मिलने वाली इंटरेस्ट रेट्स की। इसमें टर्म डिपॉजिट्स पर 6.8 से 7.5 प्रतिशत तक ब्याज मिलता है। ब्याज हर साल कंपाउंड (चक्रवृद्धि) हो जाता है। इसमें सीनियर सिटीजंस डिस्काउंटेड रेट के लिए पात्र (एलिजिबल) नहीं हैं।
इनकम टैक्स एक्ट के हिसाब से कस्टमर्स एसबीआई और पोस्ट ऑफिस दोनों से टैक्स एडवांटेज ले सकते हैं।
पोस्ट ऑफिस में एफडी की राशि जमा कराने के 6 महीने पूरे होने से पहले आप पैसा नहीं निकाल सकते। डिपॉजिट को साल पूरा होने से पहले और 6 माह के बाद बंद कराने पर पोस्ट ऑफिस सेविंग्स अकाउंट इंटरेस्ट रेट एप्लाई होगी। दूसरी ओर, एसबीआई कस्टमर्स अगर राशि को प्रीमैच्योर निकलवाना चाहते हैं तो उन्हें जुर्माना भरना होगा यानी उन पर पेनल्टी लगेगी।
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