भिंड (मध्य प्रदेश) के एक शख्स इन दिनों अजीबोगरीब स्थिति से गुजर रहे हैं। उन्हें इनकम टैक्स (IT) विभाग से 2011-12 में 132 करोड़ रुपए के कथित लेन-देन के लिए 113.83 करोड़ रुपए जमा कराने का डिमांड नोटिस मिला है। खास बात ये है कि रवि गुप्ता नाम का यह शख्स वर्तमान में सिर्फ 53000 रुपए प्रति माह कमा रहा है। आईटी डिपार्टमेंट के अनुसार गुप्ता टिया ट्रेडर्स नाम की एक डायमंड ट्रेडिंग कंपनी में प्रमोटर हैं। यह कंपनी सूरत व मुंबई में फर्म के रूप में रजिस्टर्ड है।
विभाग का यह भी कहना है कि गुप्ता के पास टैक्स आईडेंटिफिकेशन नंबर (TIN) रजिस्ट्रेशन, सर्विस टैक्स रजिस्ट्रेशन और आरबीएल बैंक व एक्सिस बैंक अकाउंट के टिया ट्रेडर्स की चेक डिटेल भी हैं। ये अकाउंट मलाड, मुंबई ब्रांच में खोले गए थे। दूसरी ओर, गुप्ता का कहना है कि पैन कॉपी व उनकी फोटो के अलावा इनमें से कोई भी चीज का उनसे संबंध नहीं है। उनका मानना है कि वे एक बड़े फर्जी रैकेट का शिकार हुए हैं। आपको बता दें कि साल 2020 में एएनआई द्वारा पहली बार रवि गुप्ता केस का खुलासा करने के बाद पीएमओ ने इस मामले में जांच शुरू की थी।
इसके बावजूद गुप्ता को गत 28 मार्च को आईटी डिपार्टमेंट की ओर से एक और नोटिस मिला है। गुप्ता ने एएनआई के साथ बातचीत में कहा कि उन्हें साल 2019 में आईटी की ओर से एक नोटिस मिला था, जिसमें उनसे 2011-12 की पेनल्टी के रूप में 3.49 करोड़ रुपए का भुगतान करने के लिए कहा गया। गुप्ता ने कहा कि तब मैं इंदौर में एक बीपीओ में काम कर रहा था और मुझे मात्र 7000 रुपए प्रति माह वेतन मिल रहा था। तब मैंने सोचा कि आईटी ने मुझे गलती से वह नोटिस भेजा है और मैंने इसे सही करने के लिए कहा। लेकिन एक बार फिर जब मुझे 113,83,32,008 रुपए का नोटिस मिला, तो मेरे होश उड़ गए।
गुप्ता पिछले पांच साल से अपना नाम हटवाने के लिए केंद्रीय एजेंसियों के लगातार चक्कर लगा रहे हैं। वे तब से ईडी और सीबीआई में शिकायत दर्ज करा चुके हैं, लेकिन उन्होंने अभी तक इस मामले की जांच नहीं की है। खास बात ये है कि इन एजेंसियों के सामने ऐसे ही कुछ और मामले भी सामने आ चुके हैं, लेकिन वे कोई पहल नहीं कर रहीं। गुप्ता ने आगे बताया कि सीबीआई भोपाल ने मेरी शिकायत को ग्वालियर के इकोनोमिक ऑफेंस विंग (ईओडब्ल्यू) तक पहुंचा दिया है और मेरा मानना है कि वह इसकी जांच कर रहा है।
ईओडब्ल्यू द्वारा जारी जांच के बावजूद आईटी ने मुझे पिछले सप्ताह डिमांड नोटिस भेज दिया। अब मेरे पास इस नोटिस के खिलाफ अपील करने के अलावा और कोई चारा नहीं है। ये नोटिस मेरे लिए किसी मानसिक प्रताड़ना से कम नहीं हैं। मेरे जैसे और भी कई पीड़ित होंगे। मुझे समझ नहीं आता कि यह सब कब रुकेगा। मेरे वाले बीपीओ में साथ काम करने वाले कपिल शुक्ला व खंडवा के प्रवीण राठौड़ को भी 2011-12 के लिए ऐसे ही आईटी नोटिस मिले हैं।