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2000 रुपए के नोट नहीं होने पर काला धन, अर्थव्यवस्था, मौद्रिक नीति पर पड़ेगा ये असर, विशेषज्ञ बोले…

Rakesh Kumar
4 Min Read
RBI

शुक्रवार को रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने 2000 रुपए के नोट पूरी तरह से चलन से बाहर करने का फैसला किया है। इसके लिए उसने 30 सितंबर 2023 तक की मोहलत दी है। इसके बाद 2000 रुपए के नोट नहीं चलेंगे। आरबीआई ने कहा है कि 23 मई से किसी भी बैंक में एक बार में एक व्यक्ति केवल 20000 रुपए ही बदलवा सकता है। इसका अर्थ है कि अगर आपके पास 2000 रुपए के नोट हैं तो आप एक बार में सिर्फ 10 नोट ही ले जाकर बदलवा सकते हैं। वैसे राहत की बात ये है कि बैंक अकाउंट में पैसे जमा कराने की कोई लिमिट नहीं है यानी आप जितने चाहे 2000 रुपए के नोट डिपोजिट कर सकते हैं। आरबीआई के इस फैसले के बाद से ही हर तरफ चर्चाओं का बाजार गरम हो गया। लोग अलग-अलग तरह से अनुमान लगा रहे हैं।

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पूर्व वित्त सचिव ने नहीं माना बहुत बड़ी घटना

इस बीच पूर्व वित्त सचिव सुभाष चंद्र गर्ग ने 2000 रुपए के नोट को वापस लिए जाने को ‘बहुत बड़ी घटना’ नहीं माना। इससे इकोनोमिक्स या मौद्रिक नीति (मोनिटरी पॉलिसी) पर कोई असर नहीं होगा। गर्ग ने “भाषा” के साथ बातचीत में कहा कि 2000 रुपए के नोट को साल 2016 में नोटबंदी (विमुद्रीकरण/डिमोनेटाइजेशन) के समय करेंसी (मुद्रा) की अस्थायी कमी को दूर करने के लिए लाया गया था। पिछले 5-6 साल में डिजिटल पेमेंट में भारी बढ़ोतरी के बाद 2000 रुपए के नोट वापस लेने से कुल कैश फ्लो प्रभावित नहीं होगा। ऐसे में मौद्रिक नीति में भी कोई दिक्कत नहीं होगी। भारत का आर्थिक और वित्तीय तंत्र का परिचालन भी अप्रभावित रहेगा। जीडीपी वृद्धि या जनकल्याण पर कोई असर नहीं होगा।

‘लोग 2000 रुपए जैसी हाई वैल्यू करेंसी की जमाखोरी कर रहे थे’

आरबीआई के पूर्व डिप्टी गवर्नर आर. गांधी ने भी इस मुद्दे पर अपनी राय व्यक्त की है। गांधी का मानना है कि इस फैसले से काले धन पर लगाम कसने में बड़ी मदद मिलेगी। गांधी का कहना है कि लोग 2000 रुपए जैसी हाई वैल्यू करेंसी की जमाखोरी कर रहे थे। गांधी भी सुभाष चंद्र गर्ग की इस बात से सहमत है कि इस नोट का इस्तेमाल डेली यूज के काम में नहीं हो रहा था इसलिए इसके बंद होने से पेमेंट सिस्टम में कोई परेशानी नहीं आएगी। गांधी ने कहा कि एक बात जरूर है कि 20 हजार रुपए की सीमा तय करने से लोगों को बार-बार बैंक जाने में परेशानी उठानी पड़ेगी। उल्लेखनीय है कि साल 2016 में 500 और 1000 रुपए के नोट बंद करने से आम आदमी को बहुत परेशानी झेलनी पड़ी थी। उसे घंटों तक लंबी-लंबी लाइन में लगना पड़ता था।

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