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Arushi Agarwal का जवाब नहीं! दो बार ठुकराई 1 करोड़ की नौकरी, खड़ी कर दी 50 करोड़ की कंपनी

Rakesh Kumar
4 Min Read
Arushi Agarwal

Arushi Agarwal : एक समय था जब लड़के-लड़कियों में काफी भेदभाव किया था। इससे लड़कियां आगे नहीं बढ़ पाती थीं। लेकिन अब समय काफी बदल गया है। अगर आज के जमाने में कोई लड़कियों को लड़कों से किसी भी तरह से कम मानता है, तो बड़ी मूर्खता करता है। अब ऐसा कोई भी काम नहीं है, जो लड़कियां नहीं कर सकतीं। अधिकतर परीक्षाओं में लड़कियां, लड़कों से इक्कीस साबित हो रही हैं। कोई ऐसा क्षेत्र नहीं जिसमें महिला शक्ति नजर नहीं आती हो। पहले अधिकतर नारियां सिर्फ गृहणी (हाउसवाइफ) की भूमिका ही निभाती नजर आती थीं, लेकिन अब वे घर की देहरी लांघकर बाहर अलग-अलग सेक्टर में अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा रही हैं। आज हम एक ऐसी ही युवती आरुषि अग्रवाल की मिसाल दे रहे हैं, जो बिजनेस की दुनिया में नाम कमा रही है।

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जेपी इंस्टीट्यूट से ली इंजीनियरिंग की डिग्री

आरुषि गाजियाबाद के नेहरू नगर में रहती हैं। अभी उनकी उम्र महज 27 साल है। हालांकि युवा उद्यमी (एंट्रेप्रेन्योर) आरुषि ने तीन साल में ही 50 करोड़ की कंपनी खड़ी कर दी। उनकी कहानी वाकई में प्रेरणादायक है। वैसे आरुषि मुरादाबाद की निवासी हैं। उन्होंने अपनी इंजीनियरिंग (बी टेक और एम टेक) जेपी इंस्टीट्यूट से की थी। बाद में उन्होंने आईआईटी दिल्ली से एक इंटर्नशिप की। आरुषि को दो मौकों पर 1-1 करोड़ रुपए की सेलरी का ऑफर मिला था, लेकिन उन्होंने दोनों ही दफा इन्हें ठुकराकर अपनी कंपनी खोली।

2020 में खोली TalentDecrpyt कंपनी

अपना सपना पूरा करने के लिए आरुषि ने कोडिंग सीखी और एक सॉफ्टवेयर डवलप किया जिससे उन लोगों को मदद मिले जिनका कैम्पस प्लेसमेंट नहीं हो पाता। कोरोनावायरस के समय साल 2020 में आरुषि ने एक कंपनी TalentDecrpyt शुरू की। आरुषि ने सिर्फ 1 लाख रुपए का इनवेस्टमेंट (निवेश) किया यानी कंपनी खोलने के लिए इतनी ही राशि लगाई। पिछले तीन साल में उनके सॉफ्टवेयर की सहायता से उनका प्लेटफॉर्म इस्तेमाल कर 10 लाख लोगों को जॉब मिल चुकी है। वे अमेरिका, जर्मनी, दक्षिण अफ्रीका, सिंगापुर, श्रीलंका, यूएई और नेपाल स्थित 380 कंपनियों की मदद कर चुके हैं। अमर उजाला की रिपोर्ट के अनुसार कई विश्वविद्यालय (यूनिवर्सिटी) भी उनकी सर्विसेज ले रहे हैं।

आरुषि के नोएडा ऑफिस में 20 कर्मचारी

यह सॉफ्टवेयर स्पेशल है क्योंकि घर पर जॉब टेस्ट के दौरान इसे न तो चीट करना संभव है और न ही कोई डिवाइस यूज कर सकते हैं या दूसरे से मदद ले सकते हैं। आरुषि ने आईआईएम बेंगलुरू से एक एक्जीक्यूटिव प्रोग्राम का कोर्स भी पूरा किया है। आरुषि को भारत सरकार ने देश की टॉप एंट्रेप्रेन्योर्स में से एक मानते हुए पुरस्कार से भी नवाजा है। आरुषि अपने दादाजी ओमप्रकाश गुप्ता को आदर्श मानती हैं। वे आईआईटी कर चुके हैं। आरुषि के पिता अजय गुप्ता एक बिजनेसमैन और मां एक होममेकर हैं। आरुषि के नोएडा ऑफिस में 20 कर्मचारी कार्यरत हैं। अब आप देख सकते हैं कि आरुषि ने अपनी मेहनत के दम पर कितना-कुछ हासिल कर लिया। हमारा मानना है कि उन्होंने भले ही दो बार 1-1 करोड़ रुपए की नौकरी ठुकरा दी, लेकिन आज वे खुद की कंपनी चला लाखों लोगों को नौकरी दिलाने में मदद कर रही हैं।

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