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Murali Divi : 12वीं कक्षा में फेल, 500 रुपए लेकर अमेरिका गए, आज नेटवर्थ 47000 करोड़ रुपए

Rakesh Kumar
4 Min Read
Murali Divi

Murali Divi : आम हिंदुस्तानी चाहता है कि उसके बच्चे पढ़ाई में अच्छा करे जिससे उन्हें आगे करिअर में कोई दिक्कत न हो। बच्चे भी अपने माता-पिता का मन रखने के लिए पूरा जोर लगाते हैं। इसके बावजूद वे नंबरों की दौड़ में पीछे रह जाते हैं और उनके मन में निराशा घर कर जाती है। आज हम उन बच्चों से कहना चाहते हैं कि अपेक्षानुरूप प्रदर्शन नहीं होने पर घबराएं नहीं। अगर आपमें सफलता पाने के लिए जोश, जूनुन और जज्बा है तो कुछ भी असंभव नहीं है। दरअसल यह बात हमारे जेहन में इसलिए आ रही है क्योंकि हमारे सामने एक मशहूर हस्ती है जो 12वीं कक्षा में फेल होने के बावजूद हतोत्साहित नहीं हुई। वे इतनी दौलत कमाकर खुद का नाम रोशन कर चुके हैं, जो बड़ों-बडों के बस की बात नहीं होती। कहने का मतलब है कि दुनिया में कोई भी कमी या बाधा आपको रोक नहीं सकती अगर आपके हौसले बुलंद हो।

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सबसे धनी वैज्ञानिकों में से एक हैं मुरली दिवी

यहां हम बात कर रहे हैं दिवी लैब के फाउंडर (संस्थापक) मुरली दिवी की। दिवी दुनिया के सबसे धनी वैज्ञानिकों में से एक हैं। उनकी नेटवर्थ 5.8 बिलियन डॉलर (करीब 47000 करोड़ रुपए) है। दिवी लैब एक्टिव फार्मास्यूटिकल इनग्रेडिएंट्स (API) के टॉप 3 मैनुफैक्चरर्स में से एक है। इसका मार्केट कैपिटलाइजेशन (बाजार पूंजीकरण) करीब 1.3 लाख करोड़ रुपए (17 बिलियन डॉलर से ज्यादा) है। मुरली दिवी आंध्र प्रदेश के एक छोटे से कस्बे से हैं और उनके पिता सरकारी कर्मचारी थे। एक समय था जब दिवी के पिता 10000 रुपए की मासिक पेंशन से अपना घर-परिवार चलाते थे। दिवी ने मछलीपट्टनम में पीयूसी की पढ़ाई की थी। वे बाद में अपनी ग्रेजुएशन के लिए एमआईटी, मणिपाल एकेडमी ऑफ हायर एजुकेशन गए थे। उन्होंने बेचलर ऑफ फार्मेसी कोर्स फार्मेस्यूटिकल साइंसेज कॉलेज से किया था। खास बात ये है कि दिवी दो बार इंटरमीडिएट एक्जाम में फेल हो गए थे, लेकिन वे अपने लक्ष्य से नहीं भटके।

अमेरिका में फार्मासिस्ट के रूप में शुरू किया काम

फोर्ब्स इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार दिवी मात्र 500 रुपए लेकर 25 साल की उम्र में साल 1976 में अमेरिका चले गए थे और वहां बतौर फार्मासिस्ट काम करने लगे। दिवी ने वहां सफलता का स्वाद चखा और ट्रिनिटी केमिकल व फाइक केमिकल जैसी कंपनियों में काम कर एक साल में 65000 अमेरिकी डॉलर कमाए। कुछ सालों के बाद दिवी भारत लौट आए और अब उनके हाथ में 40000 अमेरिकी डॉलर थे, लेकिन भविष्य को लेकर कोई योजना नहीं थी। साल 1984 में दिवी ने केमिनोर बनाने के लिए कल्लाम अंजि रेड्डी के साथ हाथ मिलाया। यह कंपनी साल 2000 में डॉ. रेड्डीज लेबोरेट्रीज के साथ मर्ज हो गई।

साल 1990 में की दिवी लेबोरेट्रीज की स्थापना

डॉ. रेड्डीज लेब्स के साथ 6 साल तक काम करने के बाद दिवी ने 1990 में दिवी लेबोरेट्रीज की स्थापना की। उन्होंने एपीआई व इंटरमीडिएट्स की मैनुफैक्चरिंग के लिए कमर्शियल प्रोसेस डवलप करना शुरू कर दिया। साल 1995 में दिवी ने चौटुप्पल (तेलंगाना) में अपना पहला मैनुफैक्चरिंग फेसिलिटी स्थापित किया। साल 2002 में उन्होंने विशाखापट्टनम के पास कंपनी की दूसरी मैनुफैक्चरिंग यूटिलिटी लॉन्च की। हैदराबाद बेस्ड दिवीज लेबोरेट्रीज का मार्च 2022 में 88 बिलियन का रेवेन्यू रहा।

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