Electric Car : दुनियाभर में अभी भी पेट्रोल-डीजल से चलने वालों वाहनों का ही बोलबाला है। यह फॉसिल फ्यूल कई सालों से काम में लिया जा रहा है। हालांकि इनकी उपलब्धता में कमी तथा इनके कारण पर्यावरण प्रदूषित होने से विभिन्न देशों द्वारा इन पर निर्भरता खत्म करने की कवायद जारी है। ऐसे में पिछले कुछ सालों से सस्टेनेबल या रिन्यूएबल एनर्जी (हवा, सूरज, हाइड्रोइलेक्ट्रिक, जियोथर्मल) की ओर झुकाव बढ़ा है। फिर भी इन्हें मेन स्ट्रीम में लाने में काफी वक्त लगेगा क्योंकि इसके लिए उच्च तकनीक की आवश्यकता पड़ेगी। इन दिनों लोगों को पसंद आ रहे इलेक्ट्रिक विकल (EV) भी सस्टेनेबल एनर्जी पर निर्भर है। इलेक्ट्रिक कारों के साथ अभी सबसे बड़ी दिक्कत चार्जिंग की है। इनकी रेंज सीमित होने से इन्हें बार-बार चार्ज करना जरूरी होता है। इसमें बहुत समय खपता है। इसके अलावा चार्जिंग स्टेशंस की संख्या भी जनसंख्या के अनुपात में काफी कम है।
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इस बीच जर्मनी की कंपनी न्यूट्रिनो एनर्जी क्लीन रिन्यूएबल पॉवर ने इन समस्याओं से निपटने के लिए एक उल्लेखनीय पहल की है। कंपनी क्वांटम टेक्नोलोजी और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के सहयोग से ऊर्जा उत्पन्न करने के लिए जुटी हुई है। इकोनोमिक टाइम्स के मुताबिक जर्मन कंपनी ने पिछले दिनों सुपरकैपेसिटर बनाने वाली भारतीय कंपनी स्पेल के साथ समझौता किया है। इसके अलावा कंपनी ने एक नए प्रोजेक्ट के लिए केंद्र सरकार के साथ मिलकर 2.5 बिलियन यूरो के निवेश की घोषणा भी की है। इसका मकसद ग्रीन एनर्जी डवलपमेंट है। कंपनी सेल्फ चार्जिंग इलेक्ट्रिक कार बनाएगी, जो 3 साल के अंदर बाजार में आ जाएगी।
कंपनी ने सब एटोमिक लेवल पर न्यूट्रॉन इंटरेक्शरन को लेकर जानकारी दी। इस हिसाब से रिसर्चर्स कुछ खास पदार्थ के प्रयोग से ऊर्जा को कनवर्ट करेंगे। कहने का मतलब है कि अणुओं के विभाजन से ऊर्जा पैदा होगी। इस प्रक्रिया में AI की मदद से स्ट्रक्चरल बिहेवियर के अध्ययन के साथ पूरा पाथ तैयार किया जाएगा। इस तकनीक को कार की बैटरी के साथ काम लिया जाएगा। यह डायनमो की जैसे काम करते हुए बैटरी को चार्ज करती रहेगी। कार चलते समय चार्ज होती रहेगी। उसे कभी भी बाहरी चार्जर की जरूरत नहीं रहेगी। इसके साथ ही आपकी यह चिंता भी मिट जाएगी कि एक निश्चित दूरी के बाद कार कहीं बंद न हो जाए। अभी इस तकनीक के खर्चे और कार की कीमत का खुलासा नहीं हुआ है। माना जा रहा है कि कार की रेट अफोर्डेबल रहेगी।
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