Maruti Gypsy : ऑटोमोबाइल कंपनियां अपने ग्राहकों की जरूरत के हिसाब से हमेशा नई-नई कारें लॉन्च करती रहती हैं। फीडबैक मिलने के बाद इनके कई अपडेटेड वर्जन भी लाए जाते हैं। दरअसल आजकल एडवांस टेक्नोलोजी होने से नित नए प्रयोग कर कारों को और खास बनाने की जद्दोजहद चलती रहती है। इस बीच मारुति सुजुकी जिप्सी एसयूवी का नया अवतार सामने आया है। इस जिप्सी की पहचान आर्मी के ऑफिशियल विकल के तौर पर है। इसे अब पूरी तरह से इलेक्ट्रिक में बदल दिया गया है। वैसे भी इन दिनों ई विकल पर ज्यादा फोकस किया जा रहा है। जिप्सी में इलेक्ट्रिक मोटर को रिट्रोफिट करने के साथ इसे बैटरी पैक से जोड़ा है। इंडियन आर्मी, आईआईटी दिल्ली और टैडपोल ईवी नामक स्टार्टअप के संयुक्त प्रयास से यह कार तैयार हुई है। इस जिप्सी को शुक्रवार को आर्मी कमांडर्स कॉन्फ्रेंस के दौरान शोकेस किया गया।
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आपको बता दें कि पुरानी जिप्सी के इंजन को रिप्लेस किया गया है। इसके सस्पेंशन में भी चेंज हुए हैं। बैटरी पैक व मोटर के साथ 3 टाइप के ड्राइविंग मोड्स दिए गए हैं। यह जिप्सी सफेद और हरे रंग में है और इसे हार्ड टॉप रखा गया है। फिलहाल इसके फीचर्स और स्पेसिफिकेशंस को लेकर कोई जानकारी सामने नहीं आई है। इसके अलावा जिप्सी को तैयार करने की कीमत पर भी सस्पेंस बना हुआ है। उल्लेखनीय है कि मारुति सुजुकी ने आम लोगों के लिए कुछ साल पहले जिप्सी का प्रोडक्शनन बंद कर दिया था, लेकिन भारतीय सेना के लिए ये जारी था। अब इसका प्रोडक्शसन पूरी तरह से बंद हो गया है।
माना जा रहा है कि यदि Maruti Gypsy का इलेक्ट्रिक वेरिएंट तैयार किया जाता है तो ये सेना के लिए शहरी क्षेत्रों में अच्छा रहेगा। हालांकि दुर्गम इलाकों में इस वेरिएंट से पेट्रोल इंजन जितनी पॉवर नहीं मिल सकेगी। साथ ही ये ज्यादा रेंज भी नहीं दे सकेगा। विशेषज्ञों का कहना है कि यह आर्मी के शहरी बेस के लिए तो उपयुक्त है लेकिन बॉर्डर एरिया में अभी के हिसाब से इसका इस्तेमाल मुश्किल होगा। आपको बता दें कि आर्मी में फिलहाल जिप्सी ही ज्यादा लोकप्रिय हैं और इनकी काफी संख्या है। ऐसे में अभी यह नहीं कहा जा सकता कि इन सभी को इलेक्ट्रिक किया जाएगा या नहीं। इसकी कोई जानकारी शेयर नहीं की गई है।
पूर्व में केंद्र सरकार की तरफ से इलेक्ट्रिक विकल्स को बढ़ावा देने के बाद से सेना में भी ई कारों की खरीद शुरू की गई थी। इसी का नतीजा था कि सेना का टाटा नेक्सॉन ईवी को लेकर करार हुआ। एक और बात जो ध्यान देने योग्य है वो ये है कि आर्मी स्टेशंस और हैडक्वार्टर्स में चार्जिंग स्टेशंस बनाए जा रहे हैं। टेडपोल प्रोजेक्ट्स की वेबसाइट के अनुसार यह स्टार्टअप विकल क इंजन को हटाने और इलेक्ट्रिक में कनवर्जन का काम करता है। उसका कहना है कि वह विकल की लाइफ में सात साल जोड़ता है। इसमें मोटर पर दो साल और बैटरी पर तीन या पांच साल की वारंटी होती है, जिसे 5-7 साल तक बढ़ाया जा सकता है।
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