PMMVY : पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चल रहीं महिलाओं की सुरक्षा और स्वास्थ्य के लिए सरकार लम्बे समय से प्रयासरत है। केंद्र और राज्य सरकारें कई योजनाएं बनाती हैं, जिनसे महिलाएं लाभांवित होती हैं। केंद्र सरकार की एक ऐसी ही स्कीम है प्रधान मंत्री मातृ वंदना योजना (PMMVY), जो काफी लोकप्रिय है। सरकार ने गर्भवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली माताओं के स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए यह पहल की है। सरकार चाहती है कि इसके माध्यम से मिलने वाली धन राशि से इन महिलाओं को चिकित्सकीय उपचार और दवाइयों के खर्च में कोई दिक्कत नहीं आए। साथ ही इससे कुपोषण की समस्या से निपटने में भी मदद मिलती है। अब हम आपको इस योजना के बारे में विस्तार से बताएंगे।
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DBT के माध्यम से सीधे अकाउंट में आएगी राशि
PMMVY प्लान के फ्रेमवर्क के अनुसार प्रेग्नेंट और बच्चों को दूध पिलाने वाली माताओं को इस योजना का लाभ मिलेगा। योजना के तहत वे 5000 रुपए के नगद इनसेंटिव की हकदार हैं। यह राशि तीन किश्तों में डायरेक्ट बेनेफिट ट्रांसफर (DBT) प्रोग्राम के माध्यम से सीधे उनके बैंक अकाउंट में जमा करा दी जाएगी। योजना में 1000 रुपए की सबसे पहली किश्त प्रेग्नेंसी रजिस्ट्रेशन के समय दी जाएगी। दूसरी किश्त 2000 रुपए की होगी और यह प्रेग्नेंसी के दौरान छठे महीने में कम से कम एक प्रसवपूर्व चेकअप पर मिलेगी। तीसरी व अंतिम इनस्टालमेंट 2000 रुपए की है। यह राशि बच्चे के जन्म का रजिस्ट्रेशन कराने के बाद खाते में आएगी।
इन महिलाओं पर किया गया है फोकस
PMMVY की पहल उन महिलाओं पर फोकस है जो डेली वेज (दैनिक मजदूरी) के हिसाब से कमाती हैं या फिर आर्थिक तौर पर अनिश्चित स्थिति में हैं। इस कार्यक्रम का उद्देश्य है कि प्रेग्नेंसी के दौरान उन्हें मजदूरी में कम से कम पैसे का नुकसान हो। साथ ही महिलाओं को गर्भावस्था की अहम अवधि में उचित स्वास्थ्य देखभाल और उपचार की गारंटी मिले। यहां इस बात का ध्यान रखा जाना जरूरी है कि यह योजना उन महिलाओं के लिए नहीं है जो किसी भी केंद्रीय या राज्य सरकार के उपक्रम (अंडरटेकिंग) से जुड़ी हों। इससे भी बड़ी बात ये है कि स्कीम के तहत पहले जीवित बच्चे के लिए ही बेनेफिट मिलेगा।
PMMVY से हो रहे हैं ये फायदे
गौरतलब है कि PMMVY को माताओं के स्वास्थ्य को ध्यान में रखकर बनाया गया है और इससे अब तक देश में कई महिलाओं को फायदा हुआ है। इस कार्यक्रम से गर्भवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली माताओं को उपचार और देखभाल की सुविधा मिलती है। इससे कुपोषण का असर कम हुआ है और उनकी ओवरऑल हेल्थ में ही सुधार देखा गया है। इसके अलावा स्कीम से मिलने वाली आर्थिक सहायता से गर्भवती महिलाओं और उनके परिवारों पर से पैसे को लेकर थोड़ा बोझ हटा है। इससे महिलाओं को आराम और अपनी देखभाल पर फोकस करने का मौका मिला है क्योंकि उपचार और दवाइयों के खर्चे में राहत मिलती है।
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