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भारत की महत्वकांक्षी समुद्रयान मिशन के तहत मत्स्य सबमर्सिबल समुद्र की गहराई में रहस्यों से पर्दा उठाएगी।
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मत्स्य सबमर्सिबल पनडुब्बी को नेशनल इंस्टीट्यूट एशियन टेक्नोलॉजी (NIOT) ने तैयार किया है।
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मत्स्य 6000 पनडुब्बी में तीन व्यक्ति बैठ सकते हैं जो 80 मिमी मोटी टाइटेनियम मिश्र धातु से बनी है और यह पानी के दवाब को सहन कर सकती है।
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यह सबमर्सिबल 12 से 16 घंटे लगातार काम कर सकती है और यह 96 घंटे तक ऑक्सीजन की आपूर्ति कर सकती है।
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मत्स्य सबमर्सिबल बेहतर सुरक्षाओं से लैस है। यह पानी में स्टीक ट्रैकिंग के लिए इसमें एक अल्ट्रा-शॉर्ट बेसलाइन ध्वनिक पोजिशनिंग सिस्टम (यूएसबीएल) लगाया गया है।
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मिशन समुद्रयान में तीन लोगों 6 किलोमीटर की गहराई तक भेजा जाएगा। इस मिशन में कोबाल्ट, निकल और मैंगनीज जैसी बहुमूल्य धातुओं की खोज की जाएगी।
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साल 2024 में बंगाल की खाड़ी में मत्स्य 6000 का परीक्षण किया जाएगा। इस मिशन पर 4,077 करोड़ रुपए खर्च होंगे।
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भारत मिशन समुद्रयान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की 'ब्लू इकोनॉमी' से सही मेल खाता है। यह मिशन स्थायी समुद्री संसाधन उपयोग, आर्थिक विकास, रोजगार सृजन और पारिस्थितिकी तंत्र संरक्षण पर केंद्रित है।
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