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मां दुर्गा को पापों की विनाशिनी कहा जाता है। नवरात्रि में मां अंबे की विशेष अराधना की जाती है। जब भगवान महिषासुर ने देवलोक में अधिकार कर लिया था तो महिषासुर का वध करने के लिए सभी देवताओं ने मां को अलग-अलग 8 शस्त्र भेंद किए थे।
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तब से ही मां दुर्गा के अलग-अलग स्वरूपों के साथ अलग-अलग अस्त्र शस्त्र हैं। इसलिए इन्हें दुर्गा सप्तशती भी कहा जाता है। तो चलिए जानते हैं मां दुर्गा के वो 8 हाथों में कौनसे अस्त्र शस्त्र हैं।
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चक्र रक्षा मां भगवती को भगवान विष्णु ने भक्तों की रक्षा के लिए देवी को चक्र प्रदान किया था। भगवान ने ये चक्र खुद अपने चक्र से उत्पन्न कर मां भगवती को भेंट किया था।
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व्रज देवराज इंद्र ने देवी माता को अपने व्रज से एक दूसरा व्रज निकालकर भेंट किया था। यह व्रज अत्यंत शक्तिशाली था और जब युद्ध भूमि पर देवी निकलती थी तो उसके प्रहार से असुर युद्ध के मदान से भाग खड़े होते थे।
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दंड मां भगवती को यमराज ने अपने कालदंड से दंड निकालकर भेंट किया था। देवी ने युद्ध भूमि में दैत्यों को दंड पाश से बांधकर धरती पर घसीटा था।
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धनुष बाण मां भवानी को पवन देव ने धनुष और बाणों से भरा तरकश भेंट किया था। असुरों से युद्ध के दौरान देवी ने इसी धनुष और बाण से प्रहार किया था।
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त्रिशूल स्वयं भगवान शंकर ने मां दुर्गा को त्रिशुल भेंट किया था। भगवान शिव ने अपने त्रिशुल से ये त्रिशुल निकालकर मां दुर्गा को भेंट किया था। इस त्रिशुल से देवी मां ने महिषासुर समेत अन्य असुरों का वध किया था।
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तलवार यमराज ने खुद देवी को तलवार और ढाल भेंट की थी। पौराणिक कथाओं के अनुसार, मां भगवती ने असुरों को सर्वनास इसी तलवार और ढाल से किया था।
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घंटा देवराज इंद्र ने खुद ऐरावत हाथी के गले से घंटा उतारकर मां देवी को दिया था और इस घंटे की भयंकर ध्वनी से असुर मूर्छित हो गए थे और फिर मां ने उनका संहार किया था।
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फरसा भगवान विश्वकर्मा ने मां दुर्गा को फरसा भेंट किया था। चण्ड मुंड का सर्वनाश करने वाली देवी ने काली का रूप धारण कर हाथों में तलवार और फरसा लेकर असुरों से युद़ध किया था।
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